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उत्तराखंड बादल फटने की भयानक त्रासदी: उत्तरकाशी के धराली गांव में तबाही का मंजर

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Uttarakhand badal fatne ki news image

5 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी ज़िले के धराली गांव में बादल फटने की दर्दनाक घटना सामने आई। गंगोत्री धाम के निकटवर्ती यह क्षेत्र पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इस आपदा ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया।

घटना का पूरा विवरण

दिन रविवार, दोपहर लगभग 1:45 बजे, धराली गांव में अचानक मौसम बिगड़ा और कुछ ही मिनटों में बादल फटने की सूचना मिली। सुक्की टॉप के पास स्थित यह गांव एक शांत और खूबसूरत इलाका था, लेकिन कुछ ही क्षणों में यह जगह मलबे और पानी से भर गई।

जान-माल का नुकसान

  • मृतकों की संख्या: अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है
  • लापता लोग: प्रशासन के अनुसार 50 से 100 लोग लापता हो सकते हैं
  • तबाह संपत्तियां: दर्जनों घर, होटल, दुकानें और वाहन तेज बहाव में बह गए

मौके पर मची अफरातफरी

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, "आवाज इतनी तेज़ थी जैसे कोई बम फटा हो। पानी और मलबा इतनी रफ्तार से आया कि लोग संभल भी नहीं पाए।" कुछ लोगों ने मोबाइल कैमरे में घटना को रिकॉर्ड किया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

रेस्क्यू ऑपरेशन और प्रशासन की कार्रवाई

  • सेना और NDRF की तैनाती: सेना के 150 जवानों के साथ-साथ NDRF और SDRF की टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं
  • जिला प्रशासन की निगरानी: उत्तरकाशी के डीएम और एसपी खुद राहत कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं
  • हेल्पलाइन नंबर: प्रभावित लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर 9456556431 जारी किया गया है

मुख्यमंत्री का बयान

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना को "अत्यंत दुखद" बताया और कहा, "हम पीड़ित परिवारों के साथ हैं। राहत कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है और किसी भी प्रभावित को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।"

मौसम विभाग की चेतावनी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 48 घंटों के लिए उत्तराखंड में रेड अलर्ट जारी किया है। भारी बारिश और बादल फटने जैसी घटनाएं फिर से हो सकती हैं। लोगों को पहाड़ी इलाकों में यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।

पर्यावरणीय विशेषज्ञों की राय

जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण गतिविधियों को इस त्रासदी का मुख्य कारण माना जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है और यहां बेतरतीब निर्माण और पर्यटन का दबाव इन घटनाओं को और बढ़ा रहा है।

निष्कर्ष: भविष्य के लिए चेतावनी

यह त्रासदी न सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा की रिपोर्ट है, बल्कि यह हमारी लापरवाह नीतियों और बदलते पर्यावरण की सच्चाई भी सामने लाती है। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में अब विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना अनिवार्य हो गया है। यदि हम आज नहीं चेते, तो कल यह त्रासदियां और भी भयानक रूप ले सकती हैं।