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CP राधाकृष्णन: एक साधारण कार्यकर्ता से उपराष्ट्रपति उम्मीदवार तक का सफर

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भारतीय राजनीति में कई नेता ऐसे रहे हैं जिन्होंने मेहनत, ईमानदारी और सादगी से ऊँचाई हासिल की है। सी.पी. राधाकृष्णन (CP Radhakrishnan) उन्हीं में से एक हैं। दक्षिण भारत से निकलकर आज वे राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा चेहरा बन गए हैं। हाल ही में उन्हें एनडीए (NDA) का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। आइए जानते हैं उनके जीवन और राजनीतिक सफर की विस्तृत कहानी।

शुरुआती जीवन और शिक्षा

जन्म: 20 अक्टूबर 1957, तिरुप्पुर (तमिलनाडु)

समाज: कोंगु वेल्लालर गाउंडर समुदाय (OBC वर्ग, तमिलनाडु में प्रभावशाली)

शिक्षा: वी.ओ. चिदंबरम कॉलेज, तूतीकोरिन से BBA

बचपन से ही उनका झुकाव संघ (RSS) और जनसंघ की विचारधारा की ओर था। मात्र 17 साल की उम्र में उन्होंने संघ से जुड़कर सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया।

राजनीतिक करियर की शुरुआत
  • • राधाकृष्णन ने राजनीति की शुरुआत जनसंघ और RSS से की।
  • • वे लंबे समय तक जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता के रूप में जुड़े रहे।
  • • उनकी पहचान धीरे-धीरे एक ईमानदार और साफ-सुथरे नेता के रूप में बनी।
लोकसभा सांसद के रूप में सफलता

1998 और 1999 में वे लगातार दो बार कोयंबटूर से सांसद चुने गए।

सांसद रहते हुए उन्होंने विकास कार्यों पर जोर दिया और कोयंबटूर में उनकी लोकप्रियता और बढ़ी।

उन्हें अक्सर "कोयंबटूर का वाजपेयी" कहा जाता है क्योंकि उनका स्वभाव सरल, शांत और सबको साथ लेकर चलने वाला है।

बीजेपी में जिम्मेदारियाँ

2003 से 2007 तक वे तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष रहे।

इस दौरान उन्होंने कई रथ यात्राएं और जनजागरूकता अभियान चलाए।

उनका फोकस था - संगठन को मजबूत करना और पार्टी को दक्षिण भारत में जड़ें जमाने में मदद करना।

राज्यपाल के रूप में कार्यकाल

झारखंड राज्यपाल (फरवरी 2023 - जुलाई 2024):
उन्होंने सभी 24 जिलों का दौरा किया और सीधे जनता की समस्याएं सुनीं।

तेलंगाना और पुडुचेरी का अतिरिक्त कार्यभार (मार्च 2024):
उन्हें दोनों राज्यों का जिम्मा भी सौंपा गया, जहाँ उन्होंने बिना विवाद काम किया।

महाराष्ट्र राज्यपाल (जुलाई 2024 - वर्तमान):
इस पद पर रहते हुए वे सभी दलों के नेताओं के बीच संतुलन और सौहार्द बनाए रखने के लिए जाने जाते हैं।

उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी

एनडीए ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। इसके पीछे कई कारण हैं:

  • बेदाग छवि: वे कभी किसी बड़े विवाद में नहीं फंसे।
  • RSS पृष्ठभूमि: उनकी विचारधारा संघ से जुड़ी है, जो बीजेपी की मजबूती का आधार है।
  • दक्षिण भारत का चेहरा: तमिलनाडु से आने के कारण वे बीजेपी की दक्षिण भारत में पकड़ मजबूत कर सकते हैं।
  • अनुभव: सांसद, पार्टी अध्यक्ष और राज्यपाल जैसे पदों का अनुभव उन्हें इस जिम्मेदारी के योग्य बनाता है।
  • सहयोगपूर्ण स्वभाव: विपक्षी दलों के नेताओं से भी उनके अच्छे संबंध हैं।
क्यों हैं खास?
  • • उन्हें लोग "कोयंबटूर के वाजपेयी" कहते हैं।
  • • वे हमेशा सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं।
  • • उनकी छवि ईमानदार, मेहनती और विकासवादी नेता की है।
  • • उन्होंने जहां भी जिम्मेदारी निभाई, वहां जनता और नेताओं के साथ अच्छे संबंध बनाए।
निष्कर्ष

CP राधाकृष्णन का जीवन सफर प्रेरणादायक है।
एक साधारण कार्यकर्ता से शुरू करके वे सांसद बने, फिर पार्टी अध्यक्ष, फिर राज्यपाल और अब उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। अगर वे उपराष्ट्रपति बनते हैं, तो यह तमिलनाडु और दक्षिण भारत के लिए गर्व का विषय होगा।

उनका चयन यह साबित करता है कि भारतीय राजनीति में आज भी ईमानदारी, सादगी और मेहनत से ऊँचाई हासिल की जा सकती है।