झारखंड के वरिष्ठ नेता और शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का 15 अगस्त 2025 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन से न केवल झारखंड की राजनीति बल्कि राज्य की शिक्षा व्यवस्था भी शोक में है।
रामदास सोरेन का जन्म 1 जनवरी 1963 को पूर्वी सिंहभूम जिले के घोराबांदा गांव में हुआ। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत ग्राम प्रधान के रूप में की थी और धीरे-धीरे राज्य राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बनाई।
वह घाटशिला विधानसभा सीट से तीन बार विधायक चुने गए थे - 2009, 2019 और 2024 में। 2024 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के बाबूलाल सोरेन को पराजित कर तीसरी बार जीत हासिल की थी।
अगस्त 2024 में चंपई सोरेन के इस्तीफे के बाद रामदास सोरेन को पहली बार झारखंड के शिक्षा मंत्री का जिम्मा मिला। उन्होंने स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के साथ-साथ निबंधन विभाग का कार्यभार संभाला।
उनकी सादगी, जनसेवा के प्रति समर्पण और शिक्षा को सुधारने की प्रतिबद्धता उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाती थी।
2 अगस्त 2025 को जमशेदपुर स्थित अपने घर में बाथरूम में गिरने के बाद रामदास सोरेन गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें तत्काल दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी रही।
15 अगस्त को इलाज के बावजूद उनका निधन हो गया। उनके जाने से राज्य में शोक की लहर दौड़ गई।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि रामदास सोरेन जैसे नेता बहुत कम मिलते हैं। भाजपा और अन्य राजनीतिक दलों ने भी उन्हें संघर्षशील और समर्पित नेता बताया।
उनकी शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता और जनसेवा की भावना हमेशा याद रखी जाएगी।
रामदास सोरेन का जाना झारखंड के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा और उनकी शिक्षा एवं समाज सेवा की सोच आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।