जब भी झारखंड राज्य के निर्माण की बात होती है, तो एक नाम सबसे पहले ज़हन में आता है - शिबू सोरेन। जिन्हें लोग स्नेहपूर्वक "दिशोम गुरु" कहते हैं। उन्होंने न केवल झारखंड की मांग को आवाज दी, बल्कि वर्षों तक चले जन-आंदोलन को नेतृत्व देकर झारखंड को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
"झारखंड सिर्फ एक भूगोल नहीं, एक पहचान है - जिसे शिबू सोरेन ने अपने खून-पसीने से गढ़ा।"
दिशोम गुरु का योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा बना रहेगा।
उनकी संघर्षपूर्ण यात्रा बताती है कि जब इरादा मजबूत हो और नेतृत्व सच्चा, तो इतिहास बदलना संभव है।