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झारखंड राज्य निर्माण में शिबू सोरेन का योगदान | Dishom Guru की भूमिका

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जब भी झारखंड राज्य के निर्माण की बात होती है, तो एक नाम सबसे पहले ज़हन में आता है - शिबू सोरेन। जिन्हें लोग स्नेहपूर्वक "दिशोम गुरु" कहते हैं। उन्होंने न केवल झारखंड की मांग को आवाज दी, बल्कि वर्षों तक चले जन-आंदोलन को नेतृत्व देकर झारखंड को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कौन थे शिबू सोरेन?

  • जन्म: 11 जनवरी 1944, नेमरा गाँव, रामगढ़ (बिहार, अब झारखंड)
  • समुदाय: संताल आदिवासी
  • पिता की हत्या के बाद महाजनी प्रथा और ज़मींदारी के खिलाफ लड़े
  • उन्होंने अपना जीवन आदिवासी अधिकार, जंगल-जमीन की रक्षा और सामाजिक न्याय को समर्पित किया

झारखंड आंदोलन की पृष्ठभूमि

  • झारखंड क्षेत्र (दक्षिणी बिहार) के लोग भाषा, संस्कृति, जीवनशैली और जरूरतों में अलग थे
  • लेकिन उन्हें दशकों तक नजरअंदाज किया गया - शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवाएं न के बराबर थीं
  • इस असंतुलन के खिलाफ 1950 के दशक से ही आंदोलन शुरू हुआ

शिबू सोरेन का आंदोलन और योगदान

1. धनकटी आंदोलन (1970 के दशक)

  • महाजनों द्वारा आदिवासियों की जमीन हड़पने के खिलाफ
  • शिबू सोरेन ने गाँव-गाँव जाकर आदिवासियों को जागरूक किया
  • इस आंदोलन ने उन्हें "दिशोम गुरु" की उपाधि दिलाई

2. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना

  • वर्ष 1972-73 में शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो और AK Roy ने मिलकर JMM बनाया
  • यह पार्टी झारखंड की राजनीतिक आवाज बन गई
  • संसद और विधानसभा में पहली बार झारखंड के मुद्दे को प्रमुखता दी गई

3. आदिवासी संस्कृति की रक्षा की लड़ाई

  • शिबू सोरेन ने झारखंड क्षेत्र की भाषा, परंपरा, वन अधिकार, और जमीन कानूनों को लेकर व्यापक आंदोलन चलाया
  • उन्होंने भूमि अधिग्रहण कानून का विरोध किया, जो आदिवासियों की जमीन छीन रहा था

4. राजनीतिक दबाव और जन समर्थन

  • उन्होंने जनता को संगठित किया, दिल्ली तक आवाज पहुंचाई
  • लोकसभा में बार-बार झारखंड के अलग राज्य की मांग को उठाया
  • 1990 के दशक में JMM का जनाधार इतना मजबूत हो गया कि केंद्र सरकार को मांग पर विचार करना पड़ा

झारखंड बना - तो एक सपना साकार हुआ

  • 15 नवंबर 2000 को झारखंड को बिहार से अलग कर भारत का 28वां राज्य बनाया गया
  • यह दिन बिरसा मुंडा की जयंती पर रखा गया - जो खुद एक महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी थे
  • शिबू सोरेन को झारखंड आंदोलन का चेहरा और नायक माना गया

शिबू सोरेन की विरासत

  • उन्होंने सिर्फ झारखंड नहीं बनाया, बल्कि आदिवासी चेतना और आत्म-सम्मान को भी पुनर्स्थापित किया
  • वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे
  • आज उनके बेटे हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हैं - जो उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं

निष्कर्ष

"झारखंड सिर्फ एक भूगोल नहीं, एक पहचान है - जिसे शिबू सोरेन ने अपने खून-पसीने से गढ़ा।"

दिशोम गुरु का योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा बना रहेगा।

उनकी संघर्षपूर्ण यात्रा बताती है कि जब इरादा मजबूत हो और नेतृत्व सच्चा, तो इतिहास बदलना संभव है।