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करुण नायर की ऐतिहासिक वापसी: 8 साल बाद टेस्ट क्रिकेट में जड़ा अर्धशतक, क्रिकेट करियर को मिली नई रफ्तार

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भारतीय क्रिकेट टीम के मध्यक्रम के बल्लेबाज करुण नायर ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि असली खिलाड़ी कभी हार नहीं मानता। इंग्लैंड के खिलाफ द ओवल में खेले जा रहे पांचवें टेस्ट मैच के पहले दिन करुण नायर ने शानदार नाबाद 52 रन की पारी खेलकर न सिर्फ टीम इंडिया को संकट से बाहर निकाला, बल्कि अपने करियर को भी एक नई उम्मीद दी।

3148 दिनों बाद टेस्ट अर्धशतक, करियर को मिला दूसरा मौका

करुण नायर का यह अर्धशतक इसलिए ऐतिहासिक बन गया क्योंकि उन्होंने यह पारी 9 साल और 11 टेस्ट पारियों के लंबे अंतराल के बाद खेली। आखिरी बार उन्होंने 2016 में इंग्लैंड के खिलाफ 303 रन* बनाकर क्रिकेट जगत को चौंका दिया था। लेकिन उसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और वापसी के अवसर बेहद सीमित रहे।

2025 की इस सीरीज में उन्हें एक बार फिर मौका मिला और करुण ने इस सुनहरे मौके को दोनों हाथों से भुनाया।

टीम को संकट से निकाला

भारत की स्थिति पहले दिन बेहद नाजुक थी। शीर्ष क्रम लड़खड़ा चुका था और स्कोर बोर्ड पर मात्र 170 रन पर 6 विकेट गिर चुके थे। ऐसे समय में करुण नायर ने मोर्चा संभाला और वाशिंगटन सुंदर के साथ मिलकर पारी को संभाला। उनकी संयमित बल्लेबाजी ने टीम को 204/6 तक पहुँचाया और भारत को पहली पारी में सम्मानजनक स्थिति में बनाए रखा।

खेल भावना की मिसाल बने करुण

पारी के दौरान जब इंग्लैंड के तेज गेंदबाज क्रिस वोक्स चोटिल होकर मैदान पर गिर पड़े, तो करुण नायर ने खेल भावना का परिचय देते हुए अतिरिक्त रन लेने से मना कर दिया। सोशल मीडिया पर इस व्यवहार की जमकर सराहना हो रही है और फैंस करुण को "स्पिरिट ऑफ क्रिकेट" का उदाहरण बता रहे हैं।

करुण नायर का संघर्ष: एक नजर में

  • टेस्ट डेब्यू: 2016, इंग्लैंड के खिलाफ
  • सर्वश्रेष्ठ स्कोर: 303* रन (तीसरे ही टेस्ट में)
  • 2025 में वापसी: घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर
  • अब तक का स्कोर: 52* रन, 5वें टेस्ट में

दिग्गजों की प्रतिक्रिया

"करुण नायर का करियर फिर से शुरू हो गया है। यह सिर्फ एक पारी नहीं थी, यह आत्मबल और धैर्य की जीत थी।"

दिनेश कार्तिक

अब सबकी निगाहें अगली पारी पर

दूसरे दिन करुण नायर से सभी को उम्मीद है कि वे अपने इस अर्धशतक को शतक में बदलेंगे और भारत को मजबूत स्थिति में पहुँचाएंगे। उनकी बल्लेबाजी न सिर्फ स्कोरबोर्ड बढ़ाने के लिए अहम है, बल्कि यह आने वाले समय में टीम चयन के लिए भी निर्णायक हो सकती है।

निष्कर्ष

करुण नायर की यह पारी सिर्फ रन बनाने की कहानी नहीं है, यह संघर्ष, उम्मीद, और आत्मबल की मिसाल है। वर्षों के बाद मिले मौके को उन्होंने पूरी ईमानदारी और संजीदगी से निभाया। यह कहानी हर उस युवा खिलाड़ी को प्रेरित करेगी जो खुद को साबित करने का सपना देखता है।

क्या करुण नायर की यह वापसी लंबे समय तक जारी रहेगी? क्या वो टीम इंडिया के स्थायी सदस्य बन पाएंगे? जवाब समय देगा, लेकिन इस एक पारी ने ज़रूर भारत के क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में एक नई उम्मीद जगा दी है।