वैश्विक अर्थव्यवस्था पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को जारी अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट में वैश्विक विकास दर के अनुमान को घटा दिया है, जिससे वैश्विक मंदी की आशंका और प्रबल हो गई है। आईएमएफ ने 2023 के लिए वैश्विक विकास दर का अनुमान 2.9% से घटाकर 2.7% कर दिया है, और 2024 के लिए भी इसे संशोधित कर 3.0% से 2.5% कर दिया है। आईएमएफ ने चेतावनी दी है कि रूस-यूक्रेन युद्ध, बढ़ती महंगाई, और कड़ी मौद्रिक नीतियों के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है। इस रिपोर्ट के बाद वैश्विक मंदी की आशंका: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने विकास दर का अनुमान घटाया शीर्षक से खबरें व्यापक रूप से फैल रही हैं।
आईएमएफ की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- विकास दर में कटौती: आईएमएफ ने 2023 और 2024 दोनों वर्षों के लिए वैश्विक विकास दर के अनुमान को घटा दिया है। यह कटौती बढ़ती महंगाई, रूस-यूक्रेन युद्ध और कड़ी मौद्रिक नीतियों के कारण की गई है।
- मुद्रास्फीति का दबाव: आईएमएफ का अनुमान है कि वैश्विक मुद्रास्फीति 2022 में 8.8% तक पहुंच जाएगी, जिसके बाद 2023 में यह घटकर 6.5% और 2024 में 4.1% हो जाएगी। हालांकि, आईएमएफ ने चेतावनी दी है कि मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए केंद्रीय बैंकों को कड़ी मौद्रिक नीतियां जारी रखनी होंगी।
- रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव: रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। युद्ध के कारण ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ी हैं, जिससे मुद्रास्फीति में और वृद्धि हुई है।
- कड़ी मौद्रिक नीतियां: मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। इससे आर्थिक विकास पर दबाव बढ़ रहा है।
- उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव: आईएमएफ का अनुमान है कि उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में विकास दर में गिरावट आएगी। इन अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ती महंगाई, कड़ी मौद्रिक नीतियों और कमजोर बाहरी मांग का सामना करना पड़ रहा है।
भारत पर क्या होगा असर?
आईएमएफ ने भारत की विकास दर के अनुमान को भी घटा दिया है, लेकिन यह अभी भी वैश्विक औसत से काफी अधिक है। आईएमएफ का अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2023 में 6.1% और 2024 में 6.8% की दर से बढ़ेगी। हालांकि, भारत को भी वैश्विक मंदी के जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ती महंगाई, कमजोर वैश्विक मांग और पूंजी प्रवाह में कमी भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है।
विशेषज्ञों की राय
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आईएमएफ की रिपोर्ट वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक संकेत है। उनका कहना है कि वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ गई है, और सरकारों को आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंदी के जोखिमों से बचाने के लिए घरेलू मांग को मजबूत करने और निर्यात को बढ़ावा देने पर ध्यान देना चाहिए।
2025 का दृष्टिकोण
भले ही 2023 और 2024 के लिए विकास दर के अनुमान निराशाजनक हैं, लेकिन आईएमएफ का मानना है कि 2025 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है। हालांकि, यह सुधार इस बात पर निर्भर करेगा कि मुद्रास्फीति को कितनी जल्दी काबू में लाया जाता है, रूस-यूक्रेन युद्ध कब समाप्त होता है, और सरकारें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए क्या कदम उठाती हैं। 2025 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की दिशा इन कारकों पर निर्भर करेगी।
निष्कर्ष
आईएमएफ की रिपोर्ट वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक चेतावनी है। वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ गई है, और सरकारों को आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। भारत को भी अपनी अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंदी के जोखिमों से बचाने के लिए तैयार रहना चाहिए। वैश्विक मंदी की आशंका: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने विकास दर का अनुमान घटाया, इस खबर पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकारें और केंद्रीय बैंक इस चुनौती का सामना कैसे करते हैं। यह latest news और बिज़नेस updates का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो 2025 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार देगा।