माँ का मोबाइल: रिश्तों का नया दौर

माँ का मोबाइल: तकनीक और रिश्तों का संगम | कहानी

गाँव की पगडंडियों से दूर, शहर के एक छोटे से फ्लैट में, सरला देवी अपने बेटे, रवि, और बहू, नेहा, के साथ रहती थीं। सरला देवी, जिनकी उम्र 65 वर्ष थी, गाँव की मिट्टी और तुलसी के पौधों के बीच पली-बढ़ी थीं। उनके जीवन में आधुनिकता का प्रवेश तब हुआ जब रवि ने उन्हें एक स्मार्टफोन उपहार में दिया।

शुरुआत में, सरला देवी के लिए मोबाइल एक रहस्यमय डिब्बा था। स्क्रीन पर चमकते रंग और अजीबोगरीब आइकन उन्हें डराते थे। रवि और नेहा ने उन्हें धीरे-धीरे सिखाया कि कॉल कैसे करें, मैसेज कैसे भेजें, और वीडियो कैसे देखें। रवि ने माँ को बताया, "माँ, यह सिर्फ एक फोन नहीं है, यह दुनिया से जुड़ने का एक तरीका है। आप अपने पुराने दोस्तों से बात कर सकती हैं, अपने पोते-पोतियों को देख सकती हैं।"

धीरे-धीरे, सरला देवी को मोबाइल की आदत लगने लगी। उन्होंने अपने पुराने दोस्तों को ढूंढा, जो गाँव छोड़कर शहर में बस गए थे। वे घंटों फोन पर बातें करतीं, पुरानी यादें ताज़ा करतीं, और हँसती-मुस्कुरातीं। नेहा ने उन्हें यूट्यूब पर भजन सुनना सिखाया। अब, सुबह-सुबह उनके फ्लैट में भजनों की मधुर ध्वनि गूंजती थी।

एक दिन, रवि ने सरला देवी को वीडियो कॉल करना सिखाया। उनकी पोती, रिया, जो अमेरिका में रहती थी, को देखकर सरला देवी की आँखें भर आईं। उन्होंने रिया से बातें कीं, उसे आशीर्वाद दिया, और उसे बताया कि वह उसे कितना याद करती हैं। रिया ने भी अपनी दादी को देखकर खुशी जताई और कहा, "दादी, मैं जल्द ही आपसे मिलने आऊंगी।"

मोबाइल ने सरला देवी को एक नया जीवन दिया था। वह अब अकेली नहीं थीं। वह दुनिया से जुड़ी हुई थीं, अपने परिवार और दोस्तों से जुड़ी हुई थीं। लेकिन, एक दिन, सरला देवी को एक समस्या हुई। उन्होंने गलती से एक अश्लील वीडियो देख लिया। वह बहुत शर्मिंदा हुईं और डर गईं। उन्होंने रवि को बताया, "बेटा, यह मोबाइल तो बुरी चीज है। इसमें गंदी चीजें भी दिखाई देती हैं।"

रवि ने माँ को समझाया, "माँ, मोबाइल बुरी चीज नहीं है। यह एक उपकरण है। इसका उपयोग अच्छे और बुरे दोनों कामों के लिए किया जा सकता है। आपको बस यह सीखना है कि इसका सही उपयोग कैसे करें।" रवि ने सरला देवी को इंटरनेट सुरक्षा के बारे में बताया और उन्हें सिखाया कि अवांछित सामग्री से कैसे बचें।

धीरे-धीरे, सरला देवी ने मोबाइल का सही उपयोग करना सीख लिया। वह अब न केवल अपने परिवार और दोस्तों से जुड़ी हुई थीं, बल्कि वह नई चीजें भी सीख रही थीं। उन्होंने ऑनलाइन कुकिंग क्लास में भाग लिया और नई-नई रेसिपी बनाना सीखा। उन्होंने बागवानी के बारे में भी जानकारी प्राप्त की और अपने बालकनी में छोटे-छोटे पौधे लगाए।

सरला देवी का जीवन अब मोबाइल के बिना अधूरा था। यह न केवल मनोरंजन का साधन था, बल्कि यह ज्ञान का भंडार भी था। मोबाइल ने उन्हें सशक्त बनाया था, उन्हें आत्मनिर्भर बनाया था, और उन्हें एक नई पहचान दी थी। माँ का मोबाइल, वास्तव में, रिश्तों का एक नया दौर था, जहाँ तकनीक और भावनाएँ एक साथ मिलकर जीवन को समृद्ध बनाती हैं।

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