छोटी दिवाली का परिचय
छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार मुख्य दिवाली से एक दिन पहले आता है और इसका अपना विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध की खुशी में दीप जलाए जाते हैं।
नरकासुर वध की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, नरकासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जो प्रागज्योतिषपुर (आज का असम) का राजा था। उसने देवताओं को परेशान करना शुरू किया और स्वर्ग की अप्सराओं का अपहरण कर लिया था। इंद्र की माता अदिति के कुंडल भी चुरा लिए थे। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान कृष्ण ने सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध किया। मरते समय नरकासुर ने कृष्ण से प्रार्थना की कि उसकी मृत्यु के दिन को खुशी के रूप में मनाया जाए।
छोटी दिवाली की पूजा विधि
छोटी दिवाली के दिन सुबह जल्दी उठकर तिल के तेल से स्नान करना शुभ माना जाता है। घर की साफ-सफाई करके रंगोली बनाई जाती है। शाम के समय घर में दीप जलाकर यम राज की पूजा की जाती है। नरक चतुर्दशी के दिन 14 दीप जलाने की परंपरा है। इससे यम राज प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। पूजा में तुलसी के पत्ते, फूल, धूप, दीप और मिठाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
क्षेत्रीय परंपराएं और रीति-रिवाज
भारत के विभिन्न राज्यों में छोटी दिवाली को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इस दिन को 'नरक चतुर्दशी' कहते हैं और विशेष पकवान बनाए जाते हैं। गुजरात में 'काली चौदस' के नाम से मनाते हैं। दक्षिण भारत में इसे 'रूप चतुर्दशी' कहा जाता है। उत्तर भारत में भी इस दिन घरों को दीपों से सजाया जाता है और पटाखे जलाए जाते हैं।
छोटी दिवाली का आधुनिक महत्व
आज के समय में छोटी दिवाली का त्योहार केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सामाजिक एकता के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि दीप जलाने से वातावरण शुद्ध होता है। आधुनिक समय में लोग पारंपरिक दीपों के साथ-साथ LED लाइट्स का भी उपयोग कर रहे हैं।
स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए महत्व
छोटी दिवाली के दिन तिल के तेल से स्नान करने से त्वचा की समस्याएं दूर होती हैं। इस दिन जलने वाले दीप मच्छरों और कीटाणुओं को भगाते हैं। पारिवारिक एकता बढ़ती है और सभी मिलकर त्योहार मनाते हैं। यह त्योहार नकारात्मकता को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा लाता है। घर में दीप जलाने से वास्तु दोष भी दूर होते हैं।