असरानी Latest News: बॉलीवुड के हँसी के बादशाह को अंतिम सलाम

Asrani

परिचय

जब हम टीवी पर कोई पुरानी फिल्म देखते हैं और वो मजेदार सीन अचानक याद आता है, तो अक्सर पीछे छिपा होता है हार मानने की बजाय हँसाने-हँसाने वाला कलाकार। ऐसी ही एक शख्सियत थे बॉलीवुड के मशहूर हास्य और चरित्र अभिनेता असरानी। आज उनकी ‘लेटेस्ट न्यूज़’ में हम जानते हैं कि कैसे उन्होंने फिल्मों के पटल पर अपनी छाप छोड़ी, और अब एक नए अध्याय के रूप में हमें उनसे विदा कहना पड़ रहा है।

दुखद सच

असरानी साहब ने 20 अक्टूबर 2025 को मुंबई में अंतिम सांस ली। उम्र थी 84 साल। उनके प्रबंधक के अनुसार उन्हें सांस लेने में समस्या हुई थी और अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस खबर ने जहाँ फिल्म-प्रेमियों को स्तब्ध कर दिया, वहीं एक दौर की सरल हँसी और ईमानदार अभिनय की यादें भी ताज़ा कर दीं।

करियर की नज़रों में

शुरुआत और संघर्ष

जयपुर के एक सिंधी मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे असरानी साहब ने अपनी शिक्षा के साथ-साथ ऑल इंडिया रेडियो में वॉयस आर्टिस्ट के रूप में काम किया। बाद में उन्होंने फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा और पहचान बनाने में कड़ी मेहनत की।

हास्य से दिलों तक

उनका करियर लगभग 50 वर्षों से भी अधिक चला, जिसमें उन्होंने 350 से अधिक हिंदी फिल्मों में काम किया। हिंदी सिनेमा में उनके हास्य कौशल और सहायक भूमिकाओं ने उन्हें एक लंबे सफर वाला अभिनेता बना दिया। उदाहरण के लिए, शोले में जिस जेलर के किरदार को उन्होंने निभाया, उसकी पहचान आज भी है — “हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं…” यह डायलॉग आज भी मशहूर है और असरानी की हँसी की पहचान बना हुआ है।

मानव-कहानी और यादें

जब भी हम कोई पुरानी फिल्म देखकर अपना बचपन याद करते हैं, तो अक्सर किसी दोस्त की हँसी गूंजती है — “यार, असरानी ने तो कमाल कर दिया!” ऐसी ही छोटी-छोटी कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि अभिनेता सिर्फ पर्दे पर नहीं, हमारे दिलों में भी जिंदा रहते हैं।

बॉलीवुड पर असर

असरानी ने सिर्फ हास्य भूमिकाएँ नहीं निभाईं, बल्कि ड्रामा, चरित्र भूमिकाएँ और निर्देशन में भी योगदान दिया। आज की फिल्मों में जब उनका नाम आता है, तो एक पुरानी सादगी और सहजता की झलक नज़र आती है — वो दौर जब हँसी दिल से निकलती थी।

विदाई और विरासत

असरानी साहब का अंतिम संस्कार मुंबई में बेहद सादगी से किया गया। दीवाली के दिन उनकी विदाई हुई — एक ऐसा दिन जो रोशनी का प्रतीक है, मगर इस बार कई चेहरों पर उदासी थी। उनकी पत्नी मंजू बंसल ने उनकी अंतिम इच्छा पूरी की और यह प्रक्रिया परिवार की मौजूदगी में सम्पन्न हुई।

शिक्षा और प्रेरणा

उनकी जीवन कहानी सिखाती है कि लोकप्रियता से अधिक ज़रूरी है लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना। असरानी ने हमें बताया कि कला सिर्फ अभिनय नहीं, बल्कि जीवन में सकारात्मकता फैलाने का ज़रिया भी है।

निष्कर्ष

अगली बार जब आप छुपके छुपके या शोले देखें और अचानक कहें — “यार, ये असरानी नहीं?” — तो समझिए आप एक ऐसे कलाकार को याद कर रहे हैं जिसने अपनी हँसी से हर पीढ़ी के दिल को छुआ। असरानी की लेटेस्ट न्यूज़ हमें यही सिखाती है कि सादगी और मुस्कान कभी पुरानी नहीं होती।

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